Bilaspur me Ghumne ki Jagah :- बिलासपुर हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। इस लेख में हम आपको बिलासपुर हिमाचल प्रदेश में घूमने की जगह (Bilaspur me Ghumne ki Jagah), बिलासपुर कैसे पहुंचे, बिलासपुर के प्रमुख धार्मिक स्थान और बिलासपुर के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानकारी देंगे।
बिलासपुर जिले के बारे में जानकारी – Information about Bilaspur district
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख जिला है। बिलासपुर हिमाचल प्रदेश में, हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सीमा पर स्थित है। बिलासपुर मैं नैना देवी मंदिर पूरे भारत देश में प्रसिद्ध है। यह 1 शक्तिपीठ है। यहां पर देवी सती के नैना मतलब आंखें गिरी थी। इसलिए इस जगह को नैना देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा यहां पर भारत का सबसे बड़ा बांध, भाखड़ा बांध बना हुआ है।
हिमाचल प्रदेश का बिलासपुर शहर बहुत सुंदर है। यहां पर घूमने के लिए बहुत सारी जगह है। यह एक पहला सुव्यवस्थित शहर है, जिसे पहाड़ पर बसाया गया है। बिलासपुर की स्थापना चंदेरी राजवंश के राजपूत राजा वीर चंद्र ने 629 ईसवी में किया था। बिलासपुर जिले के रूप में स्थापित 1 जुलाई 1954 को किया गया था।
बिलासपुर में घूमने के लिए बहुत सारी जगह (Bilaspur me Ghumne ki Jagah) है। इस ब्लॉग में हमने, बिलासपुर में घूमने वाली प्रमुख जगह (Bilaspur me Ghumne ki Jagah) के बारे में जानकारी दी है। इस ब्लॉग में हमने बिलासपुर में घूमने लायक जगह (Bilaspur me Ghumne ki Jagah), बिलासपुर कैसे जाएं, बिलासपुर में ठहरने के लिए जगह, बिलासपुर में घूमने का सबसे अच्छा समय, बिलासपुर कहां पर है। इन सभी के बारे में जानकारी दी है। इस ब्लॉग को पूरा पढ़ें, ताकि आपको इन सभी के बारे में जानकारी मिल सके।
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश में घूमने की जगह – Bilaspur me Ghumne ki Jagah
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश के पर्यटन और दर्शनीय स्थलों की सूची – Bilaspur Tourist Places list in Hindi
- नैना देवी मंदिर बिलासपुर
- गोविंद सागर झील बिलासपुर
- भाखड़ा बांध बिलासपुर
- कंदरौर ब्रिज बिलासपुर
- लक्ष्मी नारायण मंदिर बिलासपुर
- व्यास गुफा बिलासपुर
- श्री नाहर सिंह मंदिर बिलासपुर
- प्राचीन मंदिर बिलासपुर
- बांदला हिल्स बिलासपुर
- श्री गोपाल मंदिर बिलासपुर
- गुरुद्वारा गुरु का लाहौर बिलासपुर
- गुरुद्वारा त्रिवेणी साहिब बिलासपुर
- गुरुद्वारा पौड साहिब
- गुरुद्वारा सेहरा साहिब बिलासपुर
- कोट कहलूर का किला बिलासपुर
- बछरेटू का किला बिलासपुर
- सोहनी देवी का मंदिर बिलासपुर
- रुक्मणी कुंड मंदिर बिलासपुर
- बडोली देवी मंदिर बिलासपुर
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल – Bilaspur me Ghumne ki Jagah
नैना देवी मंदिर बिलासपुर – Naina Devi Temple Bilaspur
नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध मंदिर है। नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर में स्थित है। यह मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यह 1 शक्तिपीठ है। नैना देवी मंदिर हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थ स्थल है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस जगह पर माता सती के नैना गिरे थे। इसलिए इस जगह को नैना देवी के नाम से जाना जाता है। यहां पर माता का भव्य मंदिर बना हुआ है।
मंदिर में एक प्राचीन पीपल का पेड़ देखा जा सकता है, जो अनेक शताब्दियों से यहां पर लगा हुआ है। मंदिर के गर्भ गृह में तीन मूर्तियां विराजमान है। दाएं तरफ माता काली, मध्य में नैना देवी और बाएं ओर भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है। यहां पर दूर-दूर से लोग नैना देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
नवरात्रि में यहां पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। नैना देवी मंदिर के पास में एक प्राकृतिक गुफा भी है, जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है। यहां पर आप घूमने के लिए जा सकते हैं। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर है। यहां पर बहुत सारे भक्त आते हैं। यहां पर आने के लिए बस की सुविधा मिल जाती है। यहां पर ठहरने की व्यवस्था भी की गई है।
गोविंद सागर झील बिलासपुर – Govind Sagar Lake Bilaspur
गोविंद सागर झील दुनिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। यह झील भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। यह झील सतलुज नदी पर बनी हुई है। सतलुज नदी पर भाखड़ा बांध बनाने के कारण, इस झील का निर्माण हुआ है। इस झील का नाम सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के नाम पर रखा गया है। भाखड़ा बांध का निर्माण कार्य 1948 को प्रारंभ हुआ था।
यह बांध 1962 में बनकर तैयार हुआ है। इस बांध में जलस्तर को बनाए रखने के लिए व्यास नदी के पानी को भाखड़ा व्यास लिंक के माध्यम से गोविंद सागर झील में डाला जाता है। भाखड़ा व्यास लिंक योजना का कार्य 1976 में संपन्न हुआ।
गोविंद सागर झील 90 किलोमीटर लंबी और 170 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। इसमें बहुत सारे वाटर स्पोर्ट किये जाते है। यहां पर वाटर स्कीइंग, वॉटर सेलिंग, कयाकिंग, वॉटर स्कूटर, रेसिंग इत्यादि एडवेंचर खेल खेले जाते है। यहां पर आकर अच्छा लगता है।
भाखड़ा बांध बिलासपुर – Bhakra Dam Bilaspur
भाखड़ा बांध बिलासपुर का एक मुख्य पर्यटन स्थल (Bilaspur me Ghumne ki Jagah) है। यह बांध बिलासपुर के साथ-साथ पूरे देश में भी प्रसिद्ध है। यह भारत का सबसे अधिक ऊंचाई तथा सीधे ग्रेविटी वाला दुनिया का सबसे ऊंचा बांध है। यह नागल कस्बे से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस बांध को भाखड़ा नांगल बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इस बांध को बनाने का विचार सर लुईस डेन, लेफ्टिनेंट गवर्नर को आया था। बांध को बनाने की विचार पर उन्होंने सुन्नी से बिलासपुर और बिलासपुर से रोपड़ तक की यात्रा की।
इस बांध बनाने की योजना की बातचीत 1944 में शुरू की गई थी तथा 8 जनवरी 1945 को इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग हुई। इसकी शुरुआत 1946 में शुरू हुआ और 1962 को बांध बनकर तैयार हो गया था। यह बांध सतलुज नदी पर बना हुआ है।
इस बांध में दो विद्युत गृह स्थापित किए गए हैं। इस बांध की ऊंचाई 226 मीटर है और लंबाई 520 मीटर है। 22 अक्टूबर 1963 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसका शुभारंभ किया था। यहां पर आप आकर बांध के सुंदर दृश्य को देख सकते हैं। चारों तरफ पहाड़ियों का दृश्य देख सकते हैं।
बरसात के समय बांध का पानी ओवरफ्लो होता है। उसका दृश्य देखने लायक रहता है। बांध में नौकायन की सुविधा भी उपलब्ध है। यहां पर आप नौकायान का आनंद ले सकते हैं। बांध के पास ही में म्यूजियम बना हुआ है, जहां पर इस बांध की हिस्ट्री और इसके कंस्ट्रक्शन के बारे में बताया गया है। यहां पर आकर आपको भाखड़ा बांध के बारे में बहुत सारी जानकारी मिलेगी।
कंदरौर ब्रिज बिलासपुर – Kandraur Bridge Bilaspur
कंदरौर ब्रिज बिलासपुर का एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट (Bilaspur me Ghumne ki Jagah) है। यह ब्रिज पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यह ब्रिज बिलासपुर से 8 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 88 में बना हुआ है। यह ब्रिज बिलासपुर और हमीरपुर जिले को जोड़ता है। इस ब्रिज से आप सतलुज नदी का बहुत ही जबरदस्त दृश्य देख सकते हैं। यहां पर आकर आप नदी के नीचे जा सकते हैं और बहुत सारी फोटो क्लिक कर सकते हैं।
इस ब्रिज का निर्माण अप्रैल 1959 में प्रारंभ हुआ था और यह फुल 1965 में बनकर तैयार हो गया था। इस पुल की लंबाई 280 मीटर और चौड़ाई 7 मीटर है और ऊंचाई 80 मीटर है। यह पुल विश्व के सबसे ऊंचे पुल में से एक है। इस पुल का उद्घाटन श्री लाल बहादुर जी ने 1965 में किया था। यहां पर आकर आप इस सुंदर ब्रिज को देख सकते हैं और आसपास की खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य का आनंद उठा सकते हैं।
लक्ष्मी नारायण मंदिर बिलासपुर – Lakshmi Narayan Temple Bilaspur
लक्ष्मी नारायण मंदिर बिलासपुर का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर बिलासपुर मुख्य शहर में बस स्टैंड के पास में बना हुआ है। यह मंदिर विष्णु भगवान जी और लक्ष्मी माता जी को समर्पित है। मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर के बाहर गार्डन बना हुआ है।
मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता जी के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर परिसर में और भी छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। यहां पर भगवान शिव, माता दुर्गा, भगवान रघुनाथ जी, बाबा बंगाली जी का मंदिर बना हुआ है, जिनके दर्शन आप कर सकते हैं। यहां पर आकर अच्छा लगता है।
व्यास गुफा बिलासपुर – Vyas Cave Bilaspur
व्यास गुफा बिलासपुर का एक धार्मिक स्थल है। यहां पर एक प्राकृतिक रूप से बनी हुई गुफा देखने के लिए मिलती है। यह गुफा प्राचीन है। इस जगह के बारे में कहा जाता है, कि यहां पर ऋषि व्यास जी तपस्या किया करते थे। यहां पर उन्होंने कई सालों तक तपस्या कि।
यहां पर उन्होंने महाभारत जैसे महान ग्रंथ को भी लिखा है। यह स्थान सतलुज नदी के किनारे बना हुआ है। यह स्थान बिलासपुर शहर में बस स्टैंड के करीब है। आप यहां पर घूमने के लिए जा सकते हैं। बिलासपुर शहर का नाम ऋषि व्यास के नाम से ही लिया गया है। यह एक ऐतिहासिक स्थल है।
श्री नाहर सिंह मंदिर बिलासपुर – Shri Nahar Singh Temple Bilaspur
श्री नाहर सिंह मंदिर बिलासपुर का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर मुख्य शहर में बना हुआ है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। यह मंदिर गोविंद सागर झील के पास में बना हुआ है। आप इस मंदिर में घूमने के लिए आ सकते हैं। इस मंदिर को धौलरा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
यहां पर आकर अच्छा समय बिताया जा सकता है। यह मंदिर बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है। यहां बाबा नाहर सिंह जी के दर्शन करने के लिए मिलता है। कहा जाता है, कि यहां पर आकर सभी प्रकार की इच्छाएं पूरी होती हैं। यहां पर एक बरगद का पेड़ देखने के लिए मिलता है।
प्राचीन मंदिर बिलासपुर – Ancient Temple Bilaspur
प्राचीन मंदिर बिलासपुर के पुराने मंदिर है। यह मंदिर बिलासपुर पुराने शहर में स्थित है, जो अब गोविंद सागर झील के भराव क्षेत्र में डूब चुका है। यहां पर मंदिर के अवशेष ही देखे जा सकते हैं। यह मंदिर गोविंद सागर झील का पानी कम होता है। तब देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं, जो आप यहां पर देख सकते हैं। यहां पर बहुत बड़ा मैदान और दूर-दूर तक बिखरे हुए मंदिर दिखाई देते हैं।
बांदला हिल्स बिलासपुर – Bandla Hills Bilaspur
बांदला हिल्स बिलासपुर का एक मुख्य टूरिस्ट प्लेस (Bilaspur me Ghumne ki Jagah) है। यहां पर एक सुंदर पहाड़ी देखने के लिए मिलती है। यहां पर आप आकर अच्छा समय बिता सकते हैं। यहां पर रेस्ट हाउस बना हुआ है। यह जगह पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर पैराग्लाइडिंग जैसा एडवेंचर खेल किया जाता है।
आप यहां पर आकर पैराग्लाइडिंग का आनंद ले सकते हैं। यहां पर आपको मंदिर भी देखने के लिए मिलता है। यहां पर प्राकृतिक रूप से बनी हुई गुफा देखी जा सकती है। बरसात के समय यहां पर चारों तरफ हरियाली रहती है। यहां पर आप बरसात और ठंड के समय घूमने आ सकते हैं। यहां पर सूर्यास्त का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिल जाएगा।
श्री गोपाल मंदिर बिलासपुर – Shri Gopal Mandir Bilaspur
श्री गोपाल मंदिर बिलासपुर का एक फेमस मंदिर है। यह मंदिर दनोह कुणाला में स्थित है। इस मंदिर में आप श्री राधा कृष्ण जी के दर्शन कर सकते हैं। यहां पर और भी मंदिर बने हुए हैं। यहां पर शिर्डी साईं बाबा का मंदिर देखने के लिए मिलता है, जो बहुत सुंदर है।
इस मंदिर में शिर्डी साईं बाबा के दर्शन किए जा सकते हैं। यहां पर आप श्री राम जी, माता सीता जी, लक्ष्मण जी का मंदिर, शिव शंकर जी का मंदिर देख सकते हैं। यह पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर आप आकर सूर्यास्त का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। यहां से आप बिलासपुर शहर का दृश्य देखने के लिए मिलेगा।
गुरुद्वारा गुरु का लाहौर बिलासपुर – Gurdwara Guru’s Lahore Bilaspur
गुरुद्वारा गुरु का लाहौर बिलासपुर का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा पंजाब और हिमाचल प्रदेश में प्रसिद्ध है। यह गुरुद्वारा एक हिस्टोरिकल इवेंट के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर गुरु गोविंद सिंह जी की शादी हुई थी। यहां पर 1734 में बसंत पंचमी के दिन श्री गुरु गोविंद सिंह जी की माता जीत कौर जी के साथ विवाह हुआ था। इसलिए यह गुरुद्वारा प्रसिद्ध है और गुरुद्वारे का आसपास का एरिया पहाड़ी है।
यहां गुरुद्वारा बिलासपुर जिले की नैना देवी तहसील के बसंतगढ़ गांव में बना हुआ है। यह गुरुद्वारा आनंदपुर साहिब से करीब 12 किलोमीटर दूर है। यहां पर आप अपने वाहन से घूमने के लिए आ सकता है। यहां पर 24 घंटे लंगर की सुविधा उपलब्ध रहती है। यहां पर किसी भी धर्म का व्यक्ति आकर भोजन ग्रहण कर सकता है। यहां पर ठहरने की व्यवस्था की गई है।
गुरुद्वारा त्रिवेणी साहिब बिलासपुर – Gurudwara Triveni Sahib Bilaspur
गुरुद्वारा त्रिवेणी साहिब बिलासपुर का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा गुरु का लाहौर के पास में स्थित है। यह गुरुद्वारा बिलासपुर के नैना देवी तहसील के बसंतपुर गांव में बना हुआ है। इस गुरुद्वारे में आपको एक प्राचीन कुंड देखने के लिए मिलता है, जिसका पानी बहुत ही मीठा है और पवित्र है।
यह गुरुद्वारा हिस्टोरिकल है। कहा जाता है, कि यहां पर गुरु गोविंद सिंह जी ने एक तीर धरती पर मार के जल निकाला था। यहां आकर बहुत अच्छा लगता है। यहां पर एक कुंड बना हुआ है। यहां पर लोग आते हैं और कुंड से जल निकालकर ग्रहण करते हैं। यह गुरुद्वारा बहुत सुंदर है।
गुरुद्वारा पौड साहिब – Gurdwara Paud Sahib
गुरुद्वारा पौड साहिब बिलासपुर का एक और फेमस गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा गुरु की लाहौर के पास स्थित है। यह गुरुद्वारा अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। इसके बारे में कहा जाता है, कि यहां पर गुरु गोविंद सिंह के घोड़े ने जमीन में पैर मारा, जिससे यहां पर जल स्त्रोत उत्पन्न हुआ। उसी जगह पर यह गुरुद्वारा बनाया गया है।
इस गुरुद्वारे की देखभाल बहुत ही अच्छी तरह से की जा रही है। यह गुरुद्वारा बिलासपुर जिले में की नैना देवी तहसील के बसंतगढ़ गांव में स्थित है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं और इस जगह के तीनों गुरुद्वारे में घूम सकते हैं, जो प्रसिद्ध है। इस गुरुद्वारे में पानी के कुंड आज भी देखने के लिए मिल जाते हैं। लोग यहां पर आस्था से सर झुकाते हैं।
गुरुद्वारा सेहरा साहिब बिलासपुर – Gurdwara Sehra Sahib Bilaspur
गुरुद्वारा सेहरा साहिब बिलासपुर का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा ऐतिहासिक घटना के लिए प्रसिद्ध है। इस गुरुद्वारे के बारे में कहा जाता है, कि यहां पर गुरु गोविंद सिंह जी ने 1734 में अपनी शादी के समय, इस जगह पर अपना सेहरा बांधा था। इसलिए इस गुरुद्वारे को, गुरुद्वारा सेहरा साहिब के नाम से जाना जाता है। यह गुरुद्वारा बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है। यह गुरुद्वारा गुरु की लाहौर गुरुद्वारे से थोड़ी दूरी पर स्थित है। आप यहां पर आकर घूम सकते हैं।
कोट कहलूर का किला बिलासपुर – Kot Kahlur Fort Bilaspur
कोट कहलूर का किला बिलासपुर का एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट (Bilaspur me Ghumne ki Jagah) है। यह किला एक ऐतिहासिक स्थल है। इस किले का निर्माण राजा राजा कहल चन्द के पूर्वज राजा वीर चंद ने करवाया था। यह किला गंगुआल हाइड्रोईलैक्ट्रिक स्टेशन से कुछ दूरी पर स्थित है। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं।
इस किले के चारों तरफ जंगल है। इस किले के अवशेष देखने के लिए शेष बचे है। इस किले का आकार वर्गाकार है। इसकी प्रत्येक दीवार 30 मीटर ऊंची 30 मीटर लंबी है। दीवार की चौड़ाई 2 मीटर है। यह किला दो मंजिला है। किले की दूसरी मंदिर में श्री नैना देवी जी का मंदिर बना हुआ है, जिसमें श्री नैना देवी जी की मूर्ति विराजमान है।
बछरेटू का किला बिलासपुर – Bachhretu Fort Bilaspur
बछरेटू का किला बिलासपुर का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। यह किला बिलासपुर जिले में शहतलाई के पास बना हुआ है। यहां पर पहाड़ी के ऊपर एक छोटा सा किला बना है। इस किले तक पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है। इस किले में पहुंचकर बहुत अच्छा लगता है। इस किले से आप चारों तरफ का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। इस किले से गोविंद सागर झील एवं आसपास की पहाड़ी का दृश्य देखने के लिए मिलेगा। वैसे अभी यह किला खंडहर अवस्था में यहां पर मौजूद है।
बछरेटू का किला राजारत्न के द्वारा बनाया गया था, जिन्होंने बिलासपुर में शासन किया था। उन्होंने 1355 से 1406 तक शासन किया था। यह किला आयताकार आकार में बना हुआ है। इसकी दीवारें लगभग 100 मीटर और दूसरी लगभग 50 मीटर लंबी है।
किले के अंदर कमरे बने है। कमरे की दीवारें 12 मीटर ऊंची है। किले के अंदर पानी का टैंक, स्नानागार एवं बावड़ी बनी है। यहां पर एक मंदिर भी बना हुआ है। यह मंदिर अष्टभुजा माता को समर्पित है। यहां पर शिव मंदिर बना हुआ है। यहां पीपल का एक पुराना पेड़ देखा जा सकता है। आप यहां पर आकर इस प्राचीन किले में घूम सकते हैं। आपको मजा आएगा। यहां आस-पास जंगल का सुंदर दृश्य देखने लायक है।
सोहनी देवी का मंदिर बिलासपुर – Sohni Devi Temple Bilaspur
सोहनी देवी का मंदिर बिलासपुर का फेमस मंदिर है। यह मंदिर बिलासपुर में घुमारवी तहसील में स्थित है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना हुआ है और बहुत सुंदर है। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं। मंदिर से चारों तरफ का बहुत ही सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।
मंदिर में सोहनी माता की मूर्ति देखी जा सकती है। मंदिर में और भी बहुत सारी मूर्तियां विराजमान है। यहां पर हनुमान जी, शनिदेव जी, गणेश जी की प्रतिमा देखी जा सकती है। माता के दरबार में आने से और मनोकामना मांगने से जरूर पूरी होती है। यहां पर शाम के समय सूर्यास्त का बहुत अच्छा दृश्य देखा जा सकता है।
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रुक्मणी कुंड मंदिर बिलासपुर – Rukmani Kund Temple Bilaspur
रुक्मणी कुंड मंदिर बिलासपुर का एक फेमस मंदिर है। यह मंदिर बिलासपुर में ग्राम पंचायत जांगला में स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध है। यहां पर एक प्राचीन कहानी प्रसिध्द है, जो इस मंदिर से सम्बंधित है। यहां पर रुकमणी जी का मंदिर भी देखने के लिए मिलेगा।
यहां पर एक कुंड बना हुआ है, जिसका पानी कांच की तरह पारदर्शी है और साफ सुथरा है। यहां पर लोग आकर स्नान भी करते हैं। इस पानी को आस-पास के गांव में सप्लाई किया जाता है। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं और इस जगह को देख सकते हैं। यह जगह प्राकृतिक सुंदरता से घिरी हुई है।
बडोली देवी मंदिर बिलासपुर – Badoli Devi Temple Bilaspur
बडोली देवी मंदिर बिलासपुर का एक फेमस मंदिर है। यह मंदिर बिलासपुर में बडोली गांव में बना हुआ है। यह मंदिर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियां है। मंदिर में बडोली देवी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। मंदिर से चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। मंदिर बहुत अच्छी तरह से बनाया गया है। यहां पर नवरात्रि में अच्छा लगता है।
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बिलासपुर कैसे आए – How to reach Bilaspur
बिलासपुर आने के लिए परिवहन का सबसे अच्छा माध्यम सड़क माध्यम है। यहां पर सड़क माध्यम से पहुंचा जा सकता है। अगर आप देश के दूसरे कोने से आ रहे हैं, तो आप रेलमार्ग और हवाई मार्ग का भी प्रयोग कर सकते हैं। मगर आप हिमाचल प्रदेश के दूसरे जिले और हिमाचल प्रदेश के आसपास के एरिया से घूमने के लिए जा रहे हैं, तो आप सड़क माध्यम से जा सकते हैं।
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बिलासपुर में सड़क माध्यम से कैसे पहुंचे – How to reach Bilaspur by road
बिलासपुर आने के लिए सड़क माध्यम एक मुख्य साधन है। बिलासपुर चंडीगढ़ मनाली राजमार्ग में स्थित है। बिलासपुर में चंडीगढ़ मनाली राजमार्ग गुजरती है। शिमला से बिलासपुर शिमला से 86 किलोमीटर दूर और दिल्ली से करीब 405 किलोमीटर दूर है।
आप आसानी से बिलासपुर आ सकते हैं। यहां पर बस के द्वारा पंहुचा जा सकते हैं। बिलासपुर आने के लिए बस की सुविधा यहां पर उपलब्ध है। यहां पर लग्जरी और सरकारी बसें आती है। मुख्य सिटी में बस स्टैंड बना हुआ है। आप बस स्टैंड में उतर कर अपने गंतव्य स्थान पर जा सकते हैं।
बिलासपुर में हवाई माध्यम से कैसे पहुंचे – How to reach Bilaspur by air
हवाई मार्ग से बिलासपुर जा सकते हैं। बिलासपुर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कुल्लू जिले में बना हुआ है और काँगड़ा जिले के गग्गल में बना है। आप हवाई मार्ग से इन दोनों हवाई अड्डे से किसी एक में आ सकते है और उसके बाद सड़क मार्ग द्वारा बिलासपुर आ सकते हैं।
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बिलासपुर में कहां ठहरे – where to stay in bilaspur
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश का मुख्य शहर है और बिलासपुर में घूमने के लिए बहुत सारी जगह है। अगर आप यहां घूमने के लिए आते हैं, तो यहां पर ठहरने के लिए आपको बहुत सारे होटल और धर्मशालाएं मिल जाती हैं। आप होटल और धर्मशाला में रुक सकते हैं।
यहां पर आप अपनी सुविधा के अनुसार रूक सकते हैं। यहां पर आप अपने बजट के अनुसार होटल देख सकते हैं। धर्मशाला में बहुत कम प्राइस लिया जाता है। इसलिए आप धर्मशाला का चयन कर सकते हैं। बाकी आप अपनी सुविधा को देखकर होटल बुक कर सकते हैं।
बिलासपुर में घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit in Bilaspur
बिलासपुर में घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का रहता है। क्युकी इस समय यह पर मौसम ठंडा रहता है। वैसे आप यहां पर साल में कभी भी घूमने के लिए आ सकते हैं।
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