वीर लोरिक पत्थर सोनभद्र – Attractive Veer Lorik Stone Sonbhadra

वीर लोरिक पत्थर (veer lorik stone) उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थान है। वीर लोरिक पत्थर (veer lorik stone) उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले में स्थित है। यह सोनभद्र जिले में मारकुंडी पहाड़ी में स्थित है। यहां पर आप आ सकते हैं। यहां पर आपको वीर लोरिक पत्थर देखने के लिए मिलेगा। आप यहां पर आकर इस जगह के इतिहास के बारे में जान सकते हैं।

वीर लोरिक पत्थर सोनभद्र उत्तर प्रदेश की जानकारी – Information about Veer Lorik Stone Sonbhadra Uttar Pradesh

वीर लोरिक पत्थर (Veer Lorik Stone) सोनभद्र जिले की एक दर्शनीय स्थल है। यह जगह ऐतिहासिक भी है। इस जगह में आकर आपको एक प्रेम कहानी सुनने मिलती है। यह जगह वीर लोरिक (Veer Lorik) नाम के एक महान योध्दा के कारण प्रसिध्द है, जिनकी वीरता आपको यहा पर देखने मिलती है। यह जगह बहादुरी और प्रेम की निशानी है। यहां पर एक वीर राजा ने एक बडी चटटानें के दो टुकडे में विभाजित कर दिया था।

वीर लोरिक एक वीर पुरूष थे। वीर लोरिक का जन्म पांचवी शदी में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ था। वीर लोरिक (Veer Lorik) जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था। कुछ मान्यता के अनुसार इनका जन्म बारहवी शदी में हुआ था। इनके पिता का नाम बुदकुवे और माता का नाम खुइलन था। वीर लोरिक के भाई नाम धरमी था और इनके घोडे का नाम मांगर था।

ऐतिहासिक गाथा के अनुसार – वीर लोरिक तत्कालीन समय में जनपद सोनभद्र के अगोरी राज्य के आतंकी राजा मोलागत के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए, अगोरी के के अहीर जाति के क्षत्रय महाराज की पत्नी धनवा के कोख से जन्मी देवी स्वरूप मंजरी से विवाह के निमत्त अगोरी जाकर आतंकी राजा सहित शक्तिशाली हाथी इंद्रावत राजा के वीर भांजे निर्मल और पहलवान मदरमल सहित हजारों योद्धाओं को पराजित कर अगोरी किले पर विजय प्राप्त कर देवी स्वरूप मंजरी से विवाह किया।

इस पत्थर के बारे में बताया जाता है,  कि अगोरी विजय प्राप्त कर जब वीर लोरिक देवी मंजरी का डोला लेकर, इसी रास्ते से अपने गृह जनपद बलिया जा रहे थे। तो देवी मंजरी के अनुरोध पर वीर लोरिक ने अपने शौर्य के प्रतीक के रूप में इस विशाल से शिलाखंड  को अपने सिद्ध तलवार बिजुरिया से एक ही बार में दो भागों में विभक्त किया है। जिस पर देवी मंजरी ने अपने अमर सुहाग के सिंदूर को इसी पत्थर पर लगाया है, जो लग्न के समय चमकता है। इस शिलाखंड को वीर लोरिक पत्थर के नाम से जाना जाता है।

वीर लोरिक पत्थर (Veer Lorik Stone) सोनभद्र जिले की मारकुंडी पहाड़ी पर स्थित है। इस जगह पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह जगह हाईवे रोड के बाजू में है। वीर लोरिक पत्थर सोन ईको पांइट के नजदीक है। यह सोन ईको प्वांइट से करीब 100 मीटर दूर होगी।

वीर लोरिक पत्थर सोनभद्र जिले से करीब 8 किलोमीटर दूर है। आप यहां पर आसानी से बाइक और कार से आ सकते हैं और इस जगह में घूम सकते हैं। इस जगह के आसपास का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। वीर लोरिक पत्थर के आसपास और भी बहुत सारी जगह है, जहां पर आप घूम सकते हैं और अपना अच्छा समय बिता सकते हैं।

यह जगह बरसात के समय बहुत ही ज्यादा आकर्षक लगती है, क्योंकि बरसात के समय यहां पर चारों तरफ हरियाली रहती है। यहां पर 24 घंटे गाड़ियां चलती रहती है। आपके यहां पर आने में कोई भी परेशानी नहीं होगी। आप यहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से भी आकर घूम सकते हैं।

यहां पर आपको झरने भी देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर बरसात के समय छोटे-छोटे झरने बहता हैं, जो बहुत आकर्षक लगते हैं, जो आप यहां पर देख सकते हैं। यहां पर रेस्टोरेंट बना हुआ है, जहां पर आपको खाने-पीने का सामान मिल जाता है। आप यहां पर आकर एंजॉय कर सकते हैं।

सोनभद्र जिले की इस जगहें का विकास करके इस जगह को टूरिस्ट प्लेस बदल दिया गया है। यहां पर बैठने के लिए चेयर बनाए गए है और यहां पर शेड भी बने है। यहां पर आपको पीने के पानी की व्यवस्था देखने मिलती है। इस जगह पर बोर्ड पर वीर लोरिक (Veer Lorik) के बारे में जानकारी लिखी गई है। आप हाईवे से आते है, तो हाईवे पर एक द्वार बनाया गया है, जहां पर वीर लोरिक (Veer Lorik) प्रवेश द्वार लिखा गया है।

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वीर लोरिक पत्थर की कहानी – Story of veer lorik stone

वीर लोरिक पत्थर (Veer Lorik Stone) की कहानी बहुत ही दिलचस्प है। वीर लोरिक (Veer Lorik) नाम के एक महान राजा थे और वह एक योद्धा थे। वह एक शक्तिशाली व्यक्ति थे। एक बार वीर लोरिक अपनी पत्नी के साथ कहीं पर घूमने जा रहे थे, तो उनकी पत्नी ने उनकी ताकत को आजमाने के लिए, उनकी पत्नी ने कहा कि आप मुझे से प्रेम करते है, तो आप मेरे लिए क्या कर सकते है।

वीर लोरिक (Veer Lorik) बहुत शाक्तिशाली थी। वीर लोरिक (Veer Lorik) ने एक बड़ी सी चट्टान देखी और उस चट्टान को अपनी तलवार बिजुरिया से दो भागों में काट दिया। इस चट्टान को वीर लोरिक पत्थर (Veer Lorik Stone) कहा जाता है। आप इस चट्टान को यहां पर देख सकते हैं।

आज भी यहां चट्टान आपको दो भागों में खण्डित अवस्था में देखने मिलती है। चट्टान के बाजू में वीर लोरिक की एक प्रतिमा रखी गई है, जो घोड़े पर सवार है। आप इस प्रतिमा को भी देख सकते हैं। आप यहां आते हैं तो यहां के लोगों द्वारा यह कहानी सुन सकते है। यह पर मूर्ति के बाजू में एक सरकारी बोर्ड लगा है, उसमें आपको इस जगह और वीर लोरिक (Veer Lorik) के बारें मे जानकारी मिलती है।

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वीर लोरिक पत्थर स्थल में घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit in Veer Lorik Stone Site

वीर लोरिक पत्थर में घूमने का सबसे अच्छा समय बरसात का है। आप यहां पर बरसात के समय आ सकते हैं। बरसात के समय यह घाटी सुंदर हरियाली से घिर जाती है और बहुत सुंदर लगती है। यहां पर चारों तरफ आपको हरियाली देखने के लिए मिलती है। यहां पर बरसात के समय सुंदर झरने बहते हैं, जो बहुत आकर्षक लगते हैं। आप यहां पर आकर अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं।

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वीर लोरिक पत्थर कहां स्थित है – where is veer lorik stone located

वीर लोरिक पत्थर (Veer Lorik Stone) उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित है। वीर लोरिक पत्थर (Veer Lorik Stone) सोनभद्र जिले की मारकुंडी पहाड़ी पर स्थित है। वीर लोरिक पत्थर रॉबर्टगंज नगर से करीब 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पत्थर वाराणसी और सोनभद्र हाईवे रोड पर स्थित है। आप यहां पर अपने वाहन से आराम से आ सकते हैं।

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