रानी लक्ष्मीबाई समाधि ग्वालियर – Famous Rani Laxmibai Samadhi Gwalior

रानी लक्ष्मीबाई समाधि (rani laxmibai samadhi) स्थल ग्वालियर का एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल (Rani Laxmibai Samadhi Sthal) मुख्य ग्वालियर शहर में स्थित है। आप यहां पर आ सकते हैं और रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल को देख सकते हैं। यह समाधि स्थल बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है।

 

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,

बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,

गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,

दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

सुभद्रा कुमारी चैहान

 

यह पंक्तियां आपने जरूर अपने स्कूल में पढ़ी होंगी। रानी लक्ष्मीबाई से सभी परीचित है। रानी लक्ष्मीबाई ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण को नौछावर कर दिए और जहां पर उन्होनें अपने प्राणों को नौछावर कर दिया। आज हम उनकी समाधि के बारे में जानेगें।

रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल ग्वालियर की जानकारी – Information about Rani Laxmibai Samadhi Sthal Gwalior

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक प्रसिद्ध वीरांगना है, जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। जब अंग्रेज ने देश में कब्जा किया और वह झांसी में भी कब्जा करने के लिए तत्पर थे। तब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लिया था और अपने अंतिम समय तक उन्होंने अंग्रेजों से युद्ध किया था।

रानी लक्ष्मीबाई एक प्रसिद्ध नारी थी। रानी लक्ष्मीबाई के बारे में बहुत सारी टीवी शो और मूवी बन चुकी है, जिन्हें आज के लोग देखते हैं और उन्हें रानी लक्ष्मीबाई के जीवन के बारे में जानकारी मिलती है। रानी लक्ष्मीबाई बचपन से हीबहुत सारी युद्ध कलाओं में निपुण थी।

रानी लक्ष्मी बाई की समाधि (rani laxmibai samadhi) ग्वालियर जिले में स्थित है। यह ग्वालियर जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल है। आप यहां पर आकर रानी लक्ष्मीबाई की समाधि देख सकते हैं, जो बहुत अच्छी तरह से बनाई गई है। इससे बहुत अच्छी तरह मेंटेन भी किया जा रहा है।

रानी लक्ष्मीबाई की समाधि (rani laxmibai samadhi) ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी के पास में बनी है। स्वर्णरेखा नदी ग्वालियर की प्रमुख नदी है। रानी लक्ष्मीबाई की समाधि में आप आसानी से आ सकते हैं। यह मुख्य मार्ग पर स्थित है। यहां पर आपको समाधि स्थल के बाहर पार्किंग की जगह मिल जाती है, जहां पर आप अपनी बाइक पार्क कर सकते हैं।

आप रानी लक्ष्मीबाई की समाधि (rani laxmibai samadhi) पर आकर राष्ट्रभक्ति की भावना से भर जाते हैं। यहां पर रानी लक्ष्मी बाई ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने आखिरी सांस तक अंग्रेजों से देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। आप यहां पर आकर रानी लक्ष्मी बाई की समाधि देख सकते हैं।

रानी दुर्गावती समाधि स्थल (rani laxmibai samadhi) पर एक सुंदर गार्डन बनाया गया है। गार्डन में तरह-तरह के पेड़ पौधे लगाए गए हैं। यहां पर आपको गार्डन के बीच में रानी दुर्गावती की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। रानी दुर्गावती की प्रतिमा एक विशाल सफेद मार्बल के बने मंच में बनाई गई है।

यहां पर रानी दुर्गावती की प्रतिमा को काले पत्थर से बनाया गया है। रानी दुर्गावती की प्रतिमा घोड़े में सवार है और उनकी प्रतिभा एक ऊंचे मंच पर बनी हुई है। इस प्रतिमा को आप देख सकते हैं। प्रतिमा के ठीक सामने एक जोत को जलाया गया है, जिसे अमर जोत या शहीद जोत के नाम से जाना जाता है और यह अमर जोत हमेशा जलती रहती है।

रानी दुर्गावती प्रतिमा के सामने आपको समाधि स्थल भी देखने के लिए मिलता है, जहां पर रानी लक्ष्मी बाई को दफन किया गया था। यह जगह बहुत सुंदर है। इस जगह के आस-पास आपको ढेर सारे पेड़ पौधे देखने के लिए मिलते हैं। रानी दुर्गावती की गाथाओं को दीवारों में दिखाया गया है।

यहां पर दीवारों में आपको अलग-अलग मूर्तियां और चिन्ह के माध्यम से रानी दुर्गावती की जीवन की अलग-अलग चीजों को दिखाया गया है। यहां पर आप दर्शन कर सकते हैं और अपना अच्छा समय बिता सकते हैं।

इस गार्डन में बैठने के लिए चेयर बनाई गई है, जहां पर आप बैठकर इस जगह की शांति का अनुभव कर सकते हैं। समाधि स्थल की दीवारों पर आपको रानी लक्ष्मीबाई और अंग्रेजों के बीच हुई लड़ाई को दीवारों में चित्रण किया गया है। आप जब भी ग्वलियर आते है, तो यहां पर भी आ सकते है।

 

रानी लक्ष्मी बाई की समाधि में आने का समय – Time to visit Rani Laxmibai Samadhi

महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि (rani laxmibai samadhi) में आने का समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक है। आप यहां पर दिन में कभी भी आकर घूम सकते हैं।

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महारानी लक्ष्मी बाई का संक्षिप्त परिचय – Brief introduction of Maharani Lakshmi Bai

महारानी लक्ष्मी बाई का जन्म 1834 ईस्वी में हुआ था।महारानी बाई का जन्म स्थान वाराणसी है। इनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था। आपके बचपन का नाम मनु था।  माता का नाम भागीरथी बाई तथा पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। आपका विवाह झांसी के राजा गंगाधर राम नेवालकर के साथ हुआ। पति की मृत्यु के बाद झांसी का शासन महारानी ने अपने हाथों में दिया और बड़ी कुशलता के साथ शासन किया।

अंग्रेज सरकार द्वारा दत्तक पुत्र को मान्यता न देने पर झांसी को अंग्रेजी राज्य में मिलने के निर्णय का विरोध। वर्ष 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध हुई क्रांति में महारानी लक्ष्मीबाई की अहम भूमिका थी। लक्ष्मीबाई ने झांसी के किले में 10 दिनों तक अंग्रेजों से घनघोर युद्ध किया और इसके बाद ग्वालियर पहुंची।

ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई ने वीरता पूर्वक अंग्रेजों से युद्ध किया और 23 वर्ष की युवावस्था में ही वीरगति को प्राप्त किया। 1857 ईस्वी में इन्होंने वीरगति को प्राप्त किया। स्थानीय लोगों ने इस स्थल पर दाह संस्कार कर महारानी लक्ष्मी बाई को अजर अमर बना दिया।

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रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल में घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit in Rani Laxmibai Samadhi Sthal

रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल (rani laxmibai samadhi sthal) में घूमने का समय ठंड के समय है। आप ठंड के समय यहां पर आ सकते हैं। आप यहां दिन में कभी भी आ सकते हैं। आप यहां सुबह 6:00 से शाम के 6:00 तक आ सकते हैं। आपके यहां पर घूमने में कोई भी परेशानी नहीं होगी। यहां पर आप अगर गर्मी में आते हैं, तो आपको थोड़ी बहुत दिक्कत हो सकती है। मगर आप बरसात और ठंड में आएंगे, तो आपको कोई भी दिक्कत नहीं होगी।

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रानी लक्ष्मीबाई की समाधि कहां स्थित है – Where is the Rani Laxmibai Samadhi Bai located

रानी लक्ष्मी बाई की समाधि (rani laxmibai samadhi) ग्वालियर जिले में स्थित है। रानी लक्ष्मीबाई की समाधि ग्वालियर जिले में स्वर्ण रेखा नदी के किनारे स्थित है। इस समाधि स्थल पर आप आसानी से आ सकते हैं। यह समाधि स्थल मुख्य सड़क पर स्थित है। यहां पर पार्किंग के लिए बहुत बड़ी जगह है, जहां पर आप अपनी गाड़ी को खड़ा कर सकते हैं।

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