मध्य प्रदेश का ईको पर्यटन स्थल – देवगढ़ का किला
देवगढ़ का किला मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन किला है। देवगढ़ का किला (Devgarh Fort) मध्य प्रदेश का सबसे पुराना किला है। देवगढ़ का किला (Devgarh Fort) मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित है। यह किला 650 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में गोंड राजाओं के द्वारा करवाया गया था। यह किला छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ विकासखंड के देवगढ़ ग्राम में स्थित है। इस किले में आप आसानी से जा सकते हैं।
देवगढ़ का किला छिंदवाड़ा की जानकारी – Information about Devgarh Fort Chhindwara
देवगढ़ का किला एक ऐतिहासिक किला है। यह किला छिंदवाड़ा जिले के सबसे अच्छे किलों में से एक है। यह किला प्राचीन समय का है। यह किला गोंड राजाओं के द्वारा बनाया गया था। इस किलों में लोगों को आकर्षित करनें के लिए बहुत सारी चीजें है। मगर यहां पर बहुत सारी जगह नष्ट हो गई है, अब उनके अवशेष ही बचे हुए हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं और अपने पुराने समय को याद कर सकते हैं।
देवगढ़ का किला (Devgarh Fort) मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित है। छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ तहसील के देवगढ़ गांव में यह किला स्थित है। इस किले तक पहुंचाने का रास्ता ट्रैकिंग वाला है। आप यहां पर बाइक और कार से भी जा सकते हैं। मगर किले तक बाइक और कार से जाने का रास्ता थोड़ा सा खराब है। यह रास्ता कच्चा है। कार और बाइक से आने के बाद भी कुछ दूरी तक यहां पर पैदल चलना पड़ता है। यहां पर सीढ़ियां बनी हुई है। आप सीढ़ियां में आराम से चल सकते हैं। आपको सीढ़ियां से किले की दीवारें देखने के लिए मिलती हैं, जो बहुत विशाल है।
देवगढ़ गांव एक सुंदर गांव है। यह गांव चारों तरफ पहाड़ियों और जंगल से घिरा हुआ है। इस गांव में एक नदी भी बहती है, जो बहुत सुंदर लगती है। देवगढ़ गांव में संतरे की खेती होती है, जो आप देख सकते हैं। देवगढ़ गांव में आपको ढेर सारे ऐतिहासिक स्थल देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर प्राचीन बावड़ी और मंदिर बने हैं। देवगढ़ गांव में अलीशा बलिशा की बावड़ी, देवगढ़ श्री राम बावड़ी देखने के लिए मिलती है। यह दोनों ही बावड़ी प्राचीन है और बहुत ही अच्छी तरह से बनी हुई है।
देवगढ़ गांव में काली जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है। यह मंदिर प्राचीन है। यहां पर पत्थर की गुफा बनी हुई है। यहां पर मां काली जी की प्रतिमा पत्थर पर उकेरी गई है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। आप अगर देवगढ़ आते हैं, तो आप इन सभी स्थानों पर जरूर जाएं और इन स्थानों के इतिहास और खूबसूरती को जरूर देखें।
देवगढ़ किलें (Devgarh Fort) तक पहुंचने का रास्ता बहुत अच्छा है और किलें के रास्तें में दोनों तरफ घने जंगल देखने मिल जाता है। यह किला चारों तरफ से खूबसूरत पहाड़ियों और गहरी खाई से घिरा हुआ है। यह किला पहाडी के शिखर पर स्थित है। यह किला सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही मजबूती से बनाया गया था। इस किलें में आक्रमण करना असंभव था। आप उत्तर दिशा से किलें में प्रवेश कर सकते हैं।
देवगढ़ का किला (Devgarh Fort) 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह किला गोंड वंश के राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था। कहा जाता है कि इस किले का निर्माण प्रतापी राजा जाटाव के द्वारा हुआ था। किलें में देवगढ के धुरवा की राजाओं की समाधि है। अगर आप इतिहास के बारे में जानने के शौकीन है, तो आपको यहां पर एक बार जरूर आना चहिए। किलें की बनावट काफी हद तक मुगल वास्तुकला से संबंधित है।
देवगढ़ किले (Devgarh Fort) में आप एक बड़े से गेट से प्रवेश कर सकते हैं। यहां पर लोहे का गेट लगा हुआ है। देवगढ़ में प्रवेश का कोई भी चार्ज नहीं लगता है। देवगढ़ किले के अंदर जाने पर आप एक और प्राचीन गेट देखने के लिए बनता है, जो पत्थर से बना हुआ है और बहुत सुंदर है। समय के साथ इसकी खूबसूरती धीरे-धीरे कम हो रही है।
देवगढ़ किलें में देखने के लिए मोती टांका, बादल महल, कचहरी, और नक्कारखाना है। यह सभी स्थल बहुत ही अच्छी तरह से बने हैं और खूबसूरत हैं। इनमें से अधिकतर स्थल धीरे-धीरे नष्ट होते जा रहे हैं। इस जगह की खूबसूरती आप इस किलें में जाकर आप देख सकते हैं। चलिए देवगढ़ किले के अंदर के प्रमुख स्थान के बारे में जानते हैं, जो प्राचीन समय में अलग-अलग रूप से इस्तेमाल किए जाते थे
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देवगढ़ किले (Devgarh Fort) के अंदर के प्रमुख स्थान
नक्कारखाना
नक्कारखाना की छत पर सिपाई तैनात होतें थे, जो किले के अंदर चारों ओर की चौकसी करतें थे। नक्कारखाना में राजा के आगमन की सूचना आम लोग को नगाड़ा बजा कर दी जाती थी। नक्कारखाना की बाहरी दीवारों को सुंदर अलंकारों से सजाया गया है, जो इसकी शोभा को बढाता था। जिसके अवशेष आज भी विद्यमान है। नक्कारखाना में वादक मौजूद होते थे, जो राजा के आगमन पर मधुर ध्वनि बजाकर अभिनंदन करते थे।
कचहरी
कचहरी में राजा का दरबार लगाया जाता था। यहां पर मंच पर राजा और दरबारी बैठा करते थे। जनता मंच के सामने खड़ी होती थी। मंच की छत लकड़ी के सुंदर स्तंभों पर आधारित थी। राजा के बैठने के लिए मंच पर गद्दी बनी है, जो उस समय सुंदर रत्नों सुसज्जित थी। कचहरी में लोग राजा की अनुमति के अनुसार ही प्रवेश करते थे। यहां राजा की सुरक्षा हेतु कचहरी में उपस्थित आम लोगों पर नजर रखा जाती थी।
हमाम
स्थानीय लोग इस कक्ष को हमाम कहते थे। इस कक्ष को राजा रानी के मनोरंजन के लिए निर्मित किया गया था। इस कक्ष का विन्यास आयताकार है। इसके मध्य में स्थित फव्वारा इस कक्ष की शोभा बढ़ाता है। इस कक्ष की दीवारों पर रोशनी के ओले निर्मित किए गए थे।
प्राचीन चंडी मंदिर
देवगढ़ के किलें के एक बुर्ज में एक मंदिर स्थित है। जिसे स्थानीय लोग चंडी मंदिर कहते हैं। इस किलें रक्षा के उद्देश्य की मजबूत दीवारों को जोड़ते हुए 11 बुर्ज बनाए गए थे। यह पर शत्रु पर निगरानी रखने के लिए कुछ किलोमीटर की दूरी पर अलग अलग चैकियां बनाई गई थी।
मस्जिद
देवगढ़ के किलें में आपको एक मस्जिद भी देखने मिल जाती है। राजा जाटव की मृत्यु के पश्चात उनके प्रापोत्र महराज कोकवा द्वितीय के पुत्रों में देवगढ़ के शासक बनने के लिए झगड़ा शुरू हो गया। जिसके फलस्वरूप उनके पुत्र बख्त गद्दी पाने के लिए मुगल सम्राट औरंगजेब की सहायता लेकर देवगढ़ का राज्य प्राप्त किया। इस सहायता के बदले उसने इस्लाम धर्म अपना लिया और बख्त बुलंद शाह की उपाधि धारण की। पर इसी अवसर पर यहां पर मस्जिद का निर्माण किया गया था।
मोती टांका
देवगढ़ के किलें में आपको एक तालाब भी देखने मिलता है। जिसे मोती टांका भी कहा जाता है। इस किलें में पानी की सुचारू व्यवस्था थी। यह पर पानी को एकत्र करने के लिए बहुत सारे तालाब और कुए बनाये गए थे। इन तालाबों में मोती टांका फैमस है।
बड़ा देव मंदिर
बड़ा देव मंदिर देवगढ़ किले का एक मुख्य स्थान है। यह मंदिर किले की सबसे ऊंचाई पर बनाया गया है। यह मंदिर गोंड देवता को समर्पित है। यहां पर त्रिशूल देखे जा सकते हैं। यहां पर गोंड लोग आकर पूजा करते हैं। यह मंदिर बहुत ही सुंदर है। इस मंदिर के पास से चारों तरफ का घाटी का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। प्राचीन समय में यहां सिपाही लोग तैनात रहते थे और किले की देखभाल करते थे, कि कहीं दुश्मन सी किले पर अटैक नहीं कर रही है। वर्तमान में आप यहां पर गोंड देव के दर्शन कर सकते हैं।
देवगढ़ किले में इसी तरह और भी बहुत सारी जगह हैं, जिनके अलग-अलग महत्व है और जिनका इस्तेमाल अलग-अलग रूप से किया जाता था। यहां पर आपको एक खजांची घर देखने के लिए मिलता है, जहां पर राजा का खजाना रखा जाता था। यहां की दीवारें बहुत मोटी-मोटी हैं और दरवाजा बहुत छोटा है।
देवगढ़ के किले में ढेर सारी बावड़ी और तलाब देखने के लिए मिलते हैं। इनमें से कुछ तालाब समय के साथ धरती में समा गए थे। मगर हमारी सरकार ने उन तलावों का उत्खनन करवाया और आज उन तालाबों को आप देख सकते हैं।
आप इस किलें में अपनी फैमिली के साथ जा सकते है। यह पर आप बहुत इजांय कर सकते है। आप सर्दियों में या बरसात के मौसम में इस जगह की यात्रा कर सकते हैं। आप इस जगह पर जाते है, तो अपने लिए खाना और पानी लेकर जायें। क्योकि यह पर किसी भी तरह की कोई भी सुविधा नहीं है। यह पिकनिक के लिए अच्छी जगह है। यह जगह बहुत कम लोगों को पता है, इसलिए यहां पर बहुत कम लोग आते हैं। पहाड़ी के ऊपर से दृश्य काफी मनोरम है।
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देवगढ़ का किला कहां पर स्थित है – Where is Devgarh Fort located?
देवगढ़ का किला (Devgarh Fort) मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिलें में स्थित है। यह किला छिंदवाड़ा जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर है। यह किला छिंदवाड़ा जिलें के मोहखेड गांव से 10 से 15 किमी की दूरी पर स्थित है। यह किला देवगढ़ नाम के गांव में बना हुआ है। यह किला ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले में आप आसानी से जा सकते हैं।
देवगढ़ किले में कैसे पहुंचे – How to reach Devgarh Fort
देवगढ़ का किला (Devgarh Fort) ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। देवगढ़ गांव तक आप अपने वाहन से आ सकते हैं। देवगढ़ किले तक पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग है। यहां पर आप बाइक और कर से जा सकते हैं। देवगढ़ किले में आप ट्रैकिंग करके भी जा सकते हैं। यहां पर पैदल जाने का अपना एक मजा है। देवगढ़ किले के पास में सीढ़ियां है। आप आराम से सीढ़ियां चढ़ सकते हैं। उसके बाद आपको देवघर किले का मुख्य द्वार देखने के लिए मिलता है। यह पर आपको करीब 1 से 2 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी पड़ती है।
देवगढ़ किले में घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Devgarh Fort
देवगढ़ किले (Devgarh Fort) में घूमने का सबसे अच्छा समय बरसात और ठंड का है, क्योंकि इस समय मौसम बहुत ही बढ़िया रहता है और इस समय आप आराम से किले में ट्रैकिंग कर सकते हैं। यह किला बहुत बड़े एरिया में फैला हुआ है, इसलिए इस समय आप पूरे किले को विस्तार पूर्वक देख सकते हैं। आप यहां पर गर्मी में भी घूमने के लिए आ सकते हैं। मगर गर्मी में गर्मी बहुत ज्यादा रहती है और धूप रहती है, इसलिए घूमने में परेशानी होती है। बाकी आपकी मर्जी है। आप यहां पर कब घूमने आना चाहते हैं।
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देवगढ़ का किला किसने बनवाया – Who built Devgarh Fort?
देवगढ़ का किला राजा जाटव के द्वारा बनवाया गया है।
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